Punjab-Chandigarh

CS ORDERS ENHANCED SURVEILLANCE AND AGGRESSIVE CONTACT TRACING & TESTING TO CONTAIN THE SPREAD OF DELTA PLUS

राज्य में डेल्टा प्लस के मामले सामने आने के बाद मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन ने डेल्टा प्लस, जो कोविड का तेज़ी से फैलने वाला स्वरूप है, पर काबू पाने के लिए निगरानी बढ़ाने के अलावा बड़े स्तर पर कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और टेस्टिंग को यकीनी बनाने के लिए सरकारी अमले को चौकस रहने के निर्देश दिए हैं। यहाँ कोविड रिस्पॉन्स ग्रुप की मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में डेल्टा प्लस वेरीऐंट के कुछ मामले सामने आए हैं, जिनमें से पटियाला और लुधियाना में 1-1 मामला रिपोर्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि स्थिति को ध्यान में रखते हुए वायरस के इस स्वरूप के आगे फैलाव को रोकने के लिए निगरानी बढ़ाने और बड़े स्तर पर कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और टेस्टिंग करने का फ़ैसला लिया गया है।  उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग और पंजाब हैल्थ सिस्टम कॉर्पोरेशन (पी.एच.एस.सी.) द्वारा पटियाला के सरकारी मैडीकल कॉलेज में ‘होल जीनोम सीक्वेंसिंग’ मशीन लगाने सम्बन्धी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। मुख्य सचिव ने लैबोरेट्रियों में डेटा प्रोसैसिंग में लगने वाले समय को बचाने के मंतव्य से कोविड के नमूनों पर बार कोड लगाने के आदेश दिए हैं, जिससे लैबोरेट्रियों में डेटा लेने की प्रक्रिया को स्वचालित किया जा सके और रिपोर्ट का नतीजा आने के समय को घटाया जा सके। इस महामारी की तीसरी लहर को रोकने के लिए राज्य द्वारा किए जा रहे यत्नों की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने बताया कि सक्रमण की किसी भी संभावित लहर के मुकाबले के लिए नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि आई.सी.एम.आर. ने ड्राई स्वैब टेस्टिंग को मंज़ूरी दी है, जिसमें वी.टी.एम. और एम.आर.एन.ए. ऐक्सट्रैकशन के ज़रिये नमूने लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती। राज्य द्वारा इस पद्धति का प्रयोग 1000 नमूनों पर ट्रायल के आधार पर किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि टीकाकरण, बीमारी के परिणाम और होल जीनोम सीक्वेंसिंग को पहले ही कोवा मोबाइल ऐप के साथ जोड़ दिया गया है और अन्य मापदंडों को भी इस ऐप के साथ जल्द ही जोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जी.आई.एस. लिंकिग भी की जा सकती है। मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य अधिकारियों को कोविड पॉजि़टिव मामलों की उच्च दर वाले जिलों की बारीकी से निगरानी करने के लिए कहा और जि़ला महामारी विज्ञानियों को उनसे सम्बन्धित जिलों में उन इलाकों की पहचान करने के आदेश दिए, जिनमें बड़ी संख्या में केस सामने आ रहे हैं।

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