Bihar :मुजफ्फरपुर में मरीज के पेट से निकला शीशे का ग्लास:ढाई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सफल ऑपरेशन,

मुजफ्फरपुर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। 55 वर्षीय एक मरीज की पेट में शीशे की ग्लास पाई गई। यह चाय पीने वाला ग्लास था। मरीज को इसकी जानकारी तब लगी जब उसे पेट दर्द और कन्स्टिपेशन होने लगा। पहले तो उसने दवा दुकान से दवा खरीद कर खाया। दर्द तो कुछ देर के लिए आराम हो गया। लेकिन, शौच करने में उसे तकलीफ हो रही थी। फिर जब दवा का असर समाप्त हुआ तो दर्द फिर बढ़ गया। इसके बाद वह माड़ीपुर में डॉ. महमुदुल हसन के नर्सिंग होम में गया। डॉक्टर से अपनी परेशानी बताई। एक्सरे और अल्ट्रासाउंड कर देखा गया। इसमें पाया कि आंत और मलद्वार के बीच मे एक शीशे का ग्लास फंसा हुआ है। मरीज को इसकी जानकारी दी गई। वह घबरा गया।

पूछने पर नहीं दिया स्पष्ट जवाब डॉक्टर हसन ने बताया कि जब मरीज से पूछा गया कि ग्लास कैसे अंदर गया तो उसने जो जवाब दिया वह मानने लायक नहीं था। मरीज ने कहा कि शायद चाय पीने के समय गले के रास्ते से ग्लास अंदर चला गया होगा। लेकिन, डॉक्टर ने उससे कहा कि यह असंभव है। गले से इतना बड़ा ग्लास कभी भी नहीं जाएगा। अगर जाएगा भी तो वह गले में अटक जाएगा। इस पर मरीज कुछ नहीं बोला।
ढाई घंटे की मशक्कत के बाद निकला
डॉक्टर ने बताया कि पहले तो मलद्वार के रास्ते ग्लास निकालने की कोशिश की गई। लेकिन, नहीं निकल सका। इसके बाद ऑपरेशन किया गया। पेट मे चीरा लगाकर ग्लास को बाहर निकाला गया। यह काफी जटिल था। क्योंकि जरा भी इधर-उधर होता तो मरीज की जान को खतरा हो सकता था। ढाई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ग्लास को बाहर निकालने में सफलता मिली।

बनाया गया दूसरा मल द्वार
डॉक्टर ने बताया कि मरीज अब बिल्कुल ठीक है। फिलहाल दूसरा मलद्वार बना दिया गया है। कुछ दिनों बाद इसे बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने मरीज का नाम व पहचान नहीं उजागर करने की बात कही है। मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। लेकिन, ग्लास कैसे अंदर गया। इसके बारे में उसने सही-सही जानकारी नहीं दी। उन्होंने भी पूछना उचित नहीं समझा। उनके लिए जरूरी था कि ग्लास कैसे निकाला जाए।